नाम में क्या रखा है ?
नाम में क्या रखा हैं ? यह बात आपने भी सुनी ही होगी ,अगर नहीं भी सुनी होगी तो रोज के जीवन प्रतीत होता है की वैसे भी हम अपने नाम को ज्यादा महत्व नहीं देते। लेकिन दोस्तों नाम ये काफी ज्यादा महत्व पूर्ण बात है। जरा सोचिये जिंदगीमें आप कपडे बदलते है ,आप गाड़िया बदलते है,आप घर बदलते है ,लेकिन आप का नाम कभी नहीं बदलता। सोचिये आप कही बाहर गए तब आपकी पहचान कैसे बताएँगे ?अपने कपडोसे ?टोपी से ,जूतों से ,आपकी प्रतिमा दिखा के ? आपके घर के बारे मै बताके ?कैसे ?
आपकी पहचान बताने का सिर्फ एक ही जरिया है, और औ है आपका नाम। इसलिए नाम की तरफ एक बुद्धिवादी व्यक्ति कभी नजरअंदाजि नहीं करेंगा।
अब यह हो गयी नाम की विशेषता लेकिन आप भारत जैसे देश मे हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जैसे की आप जानते हो भारत देश में हजारो जातीया है। कुछ गिने चुने जातियों को उच्च माना जाता है और बहुसंख्य जाती को निन्म।। जाती भेद यह एक ऐसे चीज है की २१ वि. सदी आने के बावजूद भी आज देखने को मिलती है। हमारा नाम इसी जातियों की जाली का एक मुख्य अंग है। अगर आप गौर करोगे तो आसानी से समज में आ जाएंगा की हमारे नाम से हमारी जाती जुडी होती है। जातीयो के हिसाब से अलग-अलग नाम देखने को मिलते है जैसे की जोशी, मिश्रा , यह नाम आपको सिर्फ ब्राम्हण यह जाती में मिलेंगे।वैसे ही राजपूत ,जाट ,गुज्जर पाटिल ,यह अलग में तो जाटव,कांबले, साल्वे ,यह अलग जाती में मिलेंगे
यहाँ तक ठीक है कोई दिक्कत नहीं लेकिन अब वक्त बदल गया।। हमें हर एक उस चीज को छोड़ना होगा जिससे जातीयता प्रतीत होती हो। ड़ॉ, बाबासाहब आम्बेडकर ने इसी के कारन धर्मपरिवर्तन किया। क्यों की जब आपसे कोई पूछता है की आप कोण हो तब बोलोगे हिन्दू। लेकिन औ यहाँ पे नहीं रुकेगा ,औ पूछेगा है लेकिन हिन्दू में कोण ?, फिर आप बताओगे।,अगर आपकी जाती उच्च होगी तो आपसे साथ उसके हिसाब से व्यव्हार होगा और अगर जातीयता के अनुसार अगर आपकी जाती निचे मने वाली होगी तो वैसे हिसाब सो आपसे बर्ताव किया जायेगा। बाबासाहब को यह मंजूर न था। उन्होंने धर्मान्तर कर के जातियों को त्याग दिया।
आपसे से कुछ सोच रहे होंगे अब ऐसा नहीं होता। तो आप सोचिये की आज भी होने वाली ९० प्रतिशत से ज्यादा शादिया ये जाती-जातियों मे ही होती है।
यहाँ लेखन लिखने उदेश यही की अगर हम भारत को महासत्ता बनाना चाहते है ,हम जाती मुक्त भारत चाहते है तो हमें जातीयता जिन चीजों के वजसे टिकी है उन्हें मिटाना होगा। यह औ सब चीजे है जिससे हमारी जातिययता प्रतीत होती है।
उसमे की एक चीज है हमारा नाम।
जातिसूचक नामो को त्यागो। जातिभेद मिटावो। भारतीय बनो। मानव बनो।
इसके लिए हमें करना क्या है ?
चंद्रशेखर आजाद नाम तो सुना ही होगा। नाम से जाती प्रतीत होती है ?नहीं।
इसीतरह और कुछ लोगो ने आपने जातिसूचक नाम त्याग कर भारतीय,मानव ,भारतवंशिय,आज़ाद ऐसे नाम आपना लिए है। यह इनकी तरफ से जातीयता मुक्त भारत की तरफ एक कदम है। उन सबका अभिनन्दन। और जो जातिसूचकता खत्म करने के लिए कदम बढ़ा रहे है उनका भी।
जातिवाद का निर्मूलन पे बाबासाहब की किताब :-
Anihilation of caste english
Jaat paat ka vinash
(हिंदी )
Napoleon Bonaparte story Click here
Shop in OFFER clik here ----------------------------------------//---------------------------//----------------------------------------------
What is the Value of ur life Find here
नाम में क्या रखा हैं ? यह बात आपने भी सुनी ही होगी ,अगर नहीं भी सुनी होगी तो रोज के जीवन प्रतीत होता है की वैसे भी हम अपने नाम को ज्यादा महत्व नहीं देते। लेकिन दोस्तों नाम ये काफी ज्यादा महत्व पूर्ण बात है। जरा सोचिये जिंदगीमें आप कपडे बदलते है ,आप गाड़िया बदलते है,आप घर बदलते है ,लेकिन आप का नाम कभी नहीं बदलता। सोचिये आप कही बाहर गए तब आपकी पहचान कैसे बताएँगे ?अपने कपडोसे ?टोपी से ,जूतों से ,आपकी प्रतिमा दिखा के ? आपके घर के बारे मै बताके ?कैसे ?
आपकी पहचान बताने का सिर्फ एक ही जरिया है, और औ है आपका नाम। इसलिए नाम की तरफ एक बुद्धिवादी व्यक्ति कभी नजरअंदाजि नहीं करेंगा।
अब यह हो गयी नाम की विशेषता लेकिन आप भारत जैसे देश मे हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जैसे की आप जानते हो भारत देश में हजारो जातीया है। कुछ गिने चुने जातियों को उच्च माना जाता है और बहुसंख्य जाती को निन्म।। जाती भेद यह एक ऐसे चीज है की २१ वि. सदी आने के बावजूद भी आज देखने को मिलती है। हमारा नाम इसी जातियों की जाली का एक मुख्य अंग है। अगर आप गौर करोगे तो आसानी से समज में आ जाएंगा की हमारे नाम से हमारी जाती जुडी होती है। जातीयो के हिसाब से अलग-अलग नाम देखने को मिलते है जैसे की जोशी, मिश्रा , यह नाम आपको सिर्फ ब्राम्हण यह जाती में मिलेंगे।वैसे ही राजपूत ,जाट ,गुज्जर पाटिल ,यह अलग में तो जाटव,कांबले, साल्वे ,यह अलग जाती में मिलेंगे
यहाँ तक ठीक है कोई दिक्कत नहीं लेकिन अब वक्त बदल गया।। हमें हर एक उस चीज को छोड़ना होगा जिससे जातीयता प्रतीत होती हो। ड़ॉ, बाबासाहब आम्बेडकर ने इसी के कारन धर्मपरिवर्तन किया। क्यों की जब आपसे कोई पूछता है की आप कोण हो तब बोलोगे हिन्दू। लेकिन औ यहाँ पे नहीं रुकेगा ,औ पूछेगा है लेकिन हिन्दू में कोण ?, फिर आप बताओगे।,अगर आपकी जाती उच्च होगी तो आपसे साथ उसके हिसाब से व्यव्हार होगा और अगर जातीयता के अनुसार अगर आपकी जाती निचे मने वाली होगी तो वैसे हिसाब सो आपसे बर्ताव किया जायेगा। बाबासाहब को यह मंजूर न था। उन्होंने धर्मान्तर कर के जातियों को त्याग दिया।
आपसे से कुछ सोच रहे होंगे अब ऐसा नहीं होता। तो आप सोचिये की आज भी होने वाली ९० प्रतिशत से ज्यादा शादिया ये जाती-जातियों मे ही होती है।
यहाँ लेखन लिखने उदेश यही की अगर हम भारत को महासत्ता बनाना चाहते है ,हम जाती मुक्त भारत चाहते है तो हमें जातीयता जिन चीजों के वजसे टिकी है उन्हें मिटाना होगा। यह औ सब चीजे है जिससे हमारी जातिययता प्रतीत होती है।
उसमे की एक चीज है हमारा नाम।
जातिसूचक नामो को त्यागो। जातिभेद मिटावो। भारतीय बनो। मानव बनो।
इसके लिए हमें करना क्या है ?
चंद्रशेखर आजाद नाम तो सुना ही होगा। नाम से जाती प्रतीत होती है ?नहीं।
इसीतरह और कुछ लोगो ने आपने जातिसूचक नाम त्याग कर भारतीय,मानव ,भारतवंशिय,आज़ाद ऐसे नाम आपना लिए है। यह इनकी तरफ से जातीयता मुक्त भारत की तरफ एक कदम है। उन सबका अभिनन्दन। और जो जातिसूचकता खत्म करने के लिए कदम बढ़ा रहे है उनका भी।
जातिवाद का निर्मूलन पे बाबासाहब की किताब :-
Anihilation of caste english
Jaat paat ka vinash
(हिंदी )
Napoleon Bonaparte story Click here
Shop in OFFER clik here ----------------------------------------//---------------------------//----------------------------------------------
What is the Value of ur life Find here
Comments
Post a Comment